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Hampi - कृष्ण देवालय

कृष्ण देवालय              हेमकुट से कमलापुर के रास्ते के द्वारा निकले तो हंपी का प्रवेश द्वार मिलेगा । अब यह द्वार शिथिल हो गया है । इस प्रवेश द्वार के द्वारा आगे बढ़े तो दाहिनी और एक विशाल मंदिर मिलेगा यही कृष्ण देवालय है । यह मंदिर 320 फीट लंबा तथा 200 फीट तक चौड़ा है ।              यह मंदिर सुभद्र है । देवालय के किले की रक्षा भी, की गई है । देवालय पुर्वाभिमुख है । कृष्ण देवालय, गजपति के साथ लड़ाई करके,  जय पाकर उसकी यादगारी की भेंट के रूप में 1523 ई. में बालकृष्ण के विग्रह को उदयगिरि से मंगवाकर प्रतिष्ठित किया है । लेकिन वह मूर्ति ही नहीं है । उसे मद्रास के वस्तु प्रदर्शन आले में रखा गया है । Hampi - Krishna Temple              देवालय के रंग मंडप विशाल तथा सुंदर है । खंभों पर कृष्ण के जीवन चरित्र के कई खुदाई को देख सकते हैं । खुदाई अपूर्व है । प्रवेश करने के लिए दक्षिण पूर्व और उत्तर की ओर से सीढ़ियां है । गर्भ मंदिर के चारों ओर कई सुंदर खुदाईयां है ।              वाले के आवरण में छोटे-छोटे मंदिर हैं । पूरब में एक इमारत है । यह शायद रसोईघर का आवरण मालूम होता है ।            

Hampi - वीरभद्र देवालय

वीरभद्र देवालय              हमें मालूम होता है कि यह मंदिर अरवीडु वंश के रामराय के जमाने मे निर्मित हुआ है । इसके पहले का नाम मुद्द वीरण था । फिर आते-आते जन सामान्य लोग उद्धन वीरभद्र कह कर पुकारते हुए यह प्रचलित हो गया है ।              वीरभद्र का विग्रह 12 फीट ऊंचा है । हाथ में आयुष को पकड़ा हुआ है । इसके पास ही दक्ष का विग्रह है ।              ईस देवालय के पास ही और एक मंदिर है । इसे चंडिकेश्वर कहते हैं । द्वारपालक तथा पीठ पर दिखाई पड़नेवाले गरुड़ के विग्रह पर ध्यान दें तो यह ईश्वर देवालय होकर भी वैष्णव देवालय हो गया है । इसके लिए शासन का प्रमाण भी मिला है । ईन देवालयों को देखकर फिर कमलापुर रास्ते को ही पकड़ कर आगे चले तो किला तथा दीवारें और अंजना का देवालय दिखाई पड़ता है । कुछ और आगे जाने के बाद और एक देवालय मिलता है । यही पातालेश्वर देवालय है ।

Hampi - उग्र नरसिंह

उग्र नरसिंह            हंपी में रहने वाला सभी मूर्तियों में बृहदाकार की मूर्ति है । इसकी ऊंचाई करीब 22 फीट है । यह 1528 इ. मे कृष्णदेव राय के जमाने में एक ब्राह्मण से बनाया गया था ।            इसे उग्र नरसिंह कहते हैं । लेकिन यह उग्र नरसिंह नहीं है । क्योंकि उस उग्र की विग्रह की गोद में लक्ष्मी का विग्रह है । दृष्टों के आक्रमण से यह मूर्ति भिन्न होकर गिर पड़ी है । इस मूर्ति को लक्ष्मी नरसिंह के नाम से प्रचलित है ।            नरसिंह के बृहदाकार की प्रभावली है ।  सिर के पीछे का फन खुला हुआ सर्फ है । पिछले जमाने में इसके लिए मंदिर होगा । लेकिन अब मैदान में है । इसके चारों ओर के और बाग बगीचे है । यह दोनों देख कर फिर कमलापुर रास्ता पकड़ कर आगे बढ़े तो रास्ते में ही एक मंदिर नजर में आता है । यही वीरभद्र देवालय है ।

Hampi - बडवी लिंग या गरीबिन का लिंग

बडवी लिंग या गरीबिन का लिंग               इस लिंग का नाम ऐसा क्यों पड़ा यह मालूम नहीं । जो हो पहचानने के लिए एक नाम चाहिए । इसलिए इसे बडवी लिंग कहा जाता है । हंपी में रहने वाले लोगों में यह अत्यंत भारी है ।               यह काले पत्थर से तैयार हुआ है । यह खूबसूरत लिंग है । इसकी ऊंचाई करीब 12 फीट है । इसके गर्भमंदिर साधारण है । गुड़ी के ऊपर छत नहीं है । खेती के लिए एक नाळा इसी मंदिर के जरिए जाने से लिंग हमेशा 3 फीट पानी के अंदर डूबा रहता है । इस लिंग के पास ही कुछ गज दूर नरसिंह का विग्रह है ।

Hampi - कृष्ण देवालय

कृष्ण देवालय              हेमकुट से कमलापुर के रास्ते के द्वारा निकले तो हंपी का प्रवेश द्वार मिलेगा । अब यह द्वार शिथिल हो गया है । इस प्रवेश द्वार के द्वारा आगे बढ़े तो दाहिनी और एक विशाल मंदिर मिलेगा यही कृष्ण देवालय है । यह मंदिर 320 फीट लंबा तथा 200 फीट तक चौड़ा है ।              यह मंदिर सुभद्र है । देवालय के किले की रक्षा भी, की गई है । देवालय पुर्वाभिमुख है । कृष्ण देवालय, गजपति के साथ लड़ाई करके,  जय पाकर उसकी यादगारी की भेंट के रूप में 1523 ई. में बालकृष्ण के विग्रह को उदयगिरि से मंगवाकर प्रतिष्ठित किया है । लेकिन वह मूर्ति ही नहीं है । उसे मद्रास के वस्तु प्रदर्शन आले में रखा गया है ।              देवालय के रंग मंडप विशाल तथा सुंदर है । खंभों पर कृष्ण के जीवन चरित्र के कई खुदाई को देख सकते हैं । खुदाई अपूर्व है । प्रवेश करने के लिए दक्षिण पूर्व और उत्तर की ओर से सीढ़ियां है । गर्भ मंदिर के चारों ओर कई सुंदर खुदाईयां है ।              वाले के आवरण में छोटे-छोटे मंदिर हैं । पूरब में एक इमारत है । यह शायद रसोईघर का आवरण मालूम होता है ।              देवालय के महाद्वार

Hampi - हेमकूट

हेमकूट                        जिस रास्ते में लौटकर दक्षिण दिशा में चले तो मिलने वाला ही हेमकुट,  यहां कई मंदिर है । हेमकूट के पूर्व में दिखाई पड़ने वाला ही रत्नागिरी है । यहां कई मंदिर है । यहां जैनों का आश्रम भी है ।                       हेमकूट के पूरब की ओर घूमे तो बडा देवालय दिख पड़ता है । यही चने का देवालय है ।

Hampi- शिलारथ

शिलारथ                      विट्ठल देवालय के सामने जगतविख्यात शीलारथ है । इसे ओरिसा के कोणार्क सूर्य देवालय के प्रचोदिता प्राप्त हुआ है । ऐसा स्थानीय लोगों की राय है  । इस रथ को सफेद पत्थरों से निर्मित किया है । विष्णु देवालय के सामने गरुड़ के बदले इसे निर्मित किया गया है । यह विचार झानी लोगों की राय है । इस रथ में सैनिक , शिकारी लोगों का,  सावार लोग,  पोर्तुगीज के लोग, अरब और पर्शियन के लोगों के चित्र है । विट्ठल देवालय के रंग मंडप के दक्षिण दिशा में एक सुंदर कल्याण मंडप है । इसे कृष्णदेव राय ने 1513 में बनवाया । ईसे सौ पौरों का मंडप कहते हैं ।                      विट्ठल देवालय के रंग मंडप के दक्षिण द्वार से बाहर आए तो सामने एक मंदिर दिखा पड़ता है । उसमें आजकल पुरंदर दास जी का विग्रह स्थापित किया गया है ।

Hampi - राजाओं का तुलाभार

राजाओं का तुलाभार                         पुरंदर मंडप से ऊपर चढ़कर  पूर्व दिशा में चले तो बृहदाकार के पत्थरों के दो खंभों के ऊपर एक पत्थर बिछाया गया है । यह एक फाटक की तरह एक चौखट दिखाई देता है । इसी के राजाओं का तुलाभार कहते हैं । पुराने जमाने में दशहर एक बड़ा त्यौहार था । महानवमी के दिन इस चौखट में तराजू बांधकर एक तरफ राजा बैठ जाता था, और दूसरी तरफ राजा के वजन समान हीरे मोती जवाहरात डालते थे । राजा को तोलकर सब सामान गरीबों को दान करते थे । लेकिन इसका कोई ठीक प्रमाण नहीं है । यह शायद भगवान के झूले के उत्सव के लिए झूला बांधने के लिए निर्मित किया होगा । जो कोई भी हो यह तो राजाओं का तुलाभार नाम से प्रतीत है । 

Hampi - Matang Hill | मातंग पर्वत

                      इस पहाड़ पर चढ़ने के लिए पश्चिम दिशा की ओर सिढीयाँ है।  सिढीयाँ के जरिए पहाड़ के ऊपर चढ़े तो वहां वीरभद्र का मंदिर है । यह मंदिर बिना आकर्षण के साधारण सा मंदिर है ।                       इस पहाड़ के ऊपर का दृश्य मनमोहक और बहुत आकर्शित करनेवाला है । यहां खड़े होकर देखे तो पश्चिम दिशा में पंपापती देवालय का महाद्वार, रथविधी, हेमकुट, पर्वत और ऊत्तर मेँ तुंगभद्रा नदी है । पुर्वदिशा की ओर देखे तो अच्युतराय का मंदिर है । दक्षिण की ओर घूमे तो गजशाला, राजमहल का किला अन्य भाग्नाविशेष मिलते हैं । इनके अलावा यहां प्रकृति का दृश्य देखने के लिए बडा रम्य है। सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए सुंदर लगते हैं । यहां से देखकर जो वर्णन किया है वह इस प्रकार है - सारे भारत में इससे बढ़कर अन्य मनोहर दृश्य नहीं है । इसका मतलब यह है कि इस प्रकृति के सुंदर दृश्योँ के साथ उस समय का राजवैभव  भी उतना ही मनोहर था।

Hampi Introduction | हंपी प्रस्तावना

Hampi Introduction  | हंपी प्रस्तावना बचपन में तेनालीराम और राजा कृष्णदेव राय की कहानियां बहुत से लोगों ने पड़े हैं | आज हम आपके लिए लाए हैं उन्हीं कहानियों का शहर 'विजय नगर' उसके इतिहास को समझना बेहद जरूरी है |  देश की संस्कृति को जानने के लिए उसके इतिहास को समझना बेहद जरूरी है । भारत में समय-समय पर कई साम्राज्य स्थापित हुए, जिनके वक्त में कला और संस्कृति में नए आयाम जुड़ते गए , वक्त के साथ कई साम्राज्य ने इतिहास के पन्नों में अपनी जगह बनाई । इनमें से कुछ केवल कहानियां बनकर रह गए तो कुछ ऐसे भी साम्राज्य हैं जिनकी संबद्धता और कला कौशल की यादगार खंडर है । जो समय के थपेड़े सह कर भी अपनी धरोहर संजोए हुए हैं ।  इन्हीं में से एक है 'विजय नगर' की यह खंडार जो करीब 600 साल पुराने गुजरे वक्त का वैभव बयां करते हैं । विश्व विरासत स्थल में शुमार हंपी में मौजूद विजयनगर साम्राज्य के खंडार बताते हैं कि अपने गौरवशाली अतीत में यहां कलाकारों ने वास्तु कला, चित्रकला और मूर्तिकला की नायाब शैली को विकसित किया । हंपी में घूमते हुए कई बार लगता है कि हम मध्य काल के इतिहास के बीच मे

pune to hampi | पुणे ते हंपी

If you planned to hampi trip from pune to Hampi, then firstly require some information as like what is the distance from pune to hampi? which are the hotels in Hampi for rest at low cost? How take information about hampi? Which hampi temple are best for watch and other? In this topic we are discussing about how to travel from pune to hampi? Pune To Hampi Bus : Road : Pune - Hospet - Hampi , Duration : 9h:58Min Pune To Hampi Train : Road : Pune - Solapur - Hampi , Duration : 10h:58Min Pune To Hampi Flight : Pune - Banglore - Hampi , Duration : 9h:30Min Pune To Hampi Distance

hampi places | हंपी पाहाण्यासारखी ठिकाणे

१. कृष्ण देवालय | Shri Krishna Temple in Hampi २. सासवीकालु गणपती | Sasavikalu Ganpati in Hampi ३. कडलेकाडु गणपती | Kadalekadu Ganpati in Hampi ४. हंपी बाजार | Hampi Bazaar in Hampi ५. श्री विरूपाक्ष देवालय | Shri Virupaksha Devalaya in Hampi ६. बडवी लिंग | Badvi Ling in Hampi ७. उग्र नरासिंह | Angry Narasimha in Hampi ८.  उद्दान वीरभद्र देवालय | Uddan Virbhadra Temple in Hampi ९. बडी छोटी बहन के पहाड | Big sister's hill in Hampi १०. पातालेश्वर देवालय | Pataleshwar Temple in Hampi ११. दंडनायक का किला | Dandnayak Fort in Hampi १२. कमल महल | Kamal Mahal in Hampi १३. पहरेदार गोपुर | Guard gopur in Hampi १४. गज शाला | Gaj shala in Hampi १५. गर्ड्स क्वार्टर्स | Guards Quarters in Hampi १६. हजार रामचंद्र देवालय | Thousand Ramachandra Temple in Hampi १७. महानवमी दिब्बा | Mahanavami Dibba in Hampi १८. पुष्करणी | Pushkarani in Hampi १९. महल एरिया | Palace area in Hampi २०. राणियोंका स्नान गृह | Queen's Bathroom in Hampi २१. कमलापुरा गांव | Kamalapura village in Hamp

hyderabad to hampi | हैद्राबाद ते हंपी

Hyderabad To Hampi :             Hyderabad to Hampi has many distance. You can go from hyderabad to Mahbubnagar. After that when arriving in Mahbubnagar you can take two choices : 1) from Raichur - Sindhanur - Hampi  2) from via Raichur - Ballari - Hampi

hampi places to see | हंपी पाहाण्यासारखी ठिकाणे

१.  कृष्ण देवालय | Shri Krishna Temple in Hampi २.  ससीवेकालु गणपती | Sasivekalu Ganpati in Hampi * हेमकुट * शिलारथ ३. कडलेकाडु गणपती | Kadalekadu Ganpati in Hampi ४. हंपी बाजार | Hampi Bazaar in Hampi ५.  श्री विरूपाक्ष देवालय | Shri Virupaksha Devalaya in Hampi ६.  बडवी लिंग | Badvi Ling in Hampi ७.  उग्र नरासिंह | Angry Narasimha in Hampi ८.   उद्दान वीरभद्र देवालय | Uddan Virbhadra Temple in Hampi ९. बडी छोटी बहन के पहाड | Big sister's hill in Hampi १०. पातालेश्वर देवालय | Pataleshwar Temple in Hampi ११. दंडनायक का किला | Dandnayak Fort in Hampi १२.  कमल महल | Kamal Mahal in Hampi १३. पहरेदार गोपुर | Guard gopur in Hampi १४. गज शाला | Gaj shala in Hampi १५. गर्ड्स क्वार्टर्स | Guards Quarters in Hampi १६.  हजार रामचंद्र देवालय | Thousand Ramachandra Temple in Hampi १७. महानवमी दिब्बा | Mahanavami Dibba in Hampi १८. पुष्करणी | Pushkarani in Hampi १९. महल एरिया | Palace area in Hampi २०. राणियोंका स्नान गृह | Queen's Bathroom in Hampi २१. कमलापुरा गांव

Hampi | हंपी

     'हंपी और बदामी' के बारे आज कल हम सब सुनते रहते है । 'हंपी और बदामी' यह दो ऐतिहासीक जगह भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। आज हम ईस संवाद में हंपी (hampi)के बारे जानने का प्रयास करेंगे ।      यह बात सच है की आज हंपी शहर उजड गया है। ईसके गतवैभव के स्वरूप की ओर ईसके शासन किये हुए राजा - महाराजा (kings)  की कथा सुने तो कन्नड तथा भारत के सभी लोगों का कलेजा पिघल जाता है । आजकल कर्नाटक सरकार (karnataka government) से प्रकाशीत कर्नाटक परंपरा ग्रंथ (karnataka traditional books)की आधार पर ही हम ईस संवाद में यह माहिती जुटाकर लाये है। Hampi | हंपी                    यह जगह भारत देश के कर्नाटक राज्य में बल्लारी जिल्ला के होस्पेट तालुका में है। हंपी ( hampi ) जानेवाले लोगोंको होस्पेट (Hospet) से ही जाना चाहीए। कर्नाटक राज्य (karanataka state) के सभी ओर से होस्पेट (Hospet) को बस से जाने का ईंतजाम है। अगर आप रेलगाडी से जाना चाहते है तो आपको - हुबली से गुतंकल जानेवाली रेलगाडी होस्पेट (Hospet) के जरिये ही जाती है । होस्पेट (Hospet) तालुका का मुख्य केंद्र होकर, ऊत्तम ऊपहार गृह