राजाओं का तुलाभार
पुरंदर मंडप से ऊपर चढ़कर पूर्व दिशा में चले तो बृहदाकार के पत्थरों के दो खंभों के ऊपर एक पत्थर बिछाया गया है । यह एक फाटक की तरह एक चौखट दिखाई देता है । इसी के राजाओं का तुलाभार कहते हैं । पुराने जमाने में दशहर एक बड़ा त्यौहार था । महानवमी के दिन इस चौखट में तराजू बांधकर एक तरफ राजा बैठ जाता था, और दूसरी तरफ राजा के वजन समान हीरे मोती जवाहरात डालते थे । राजा को तोलकर सब सामान गरीबों को दान करते थे । लेकिन इसका कोई ठीक प्रमाण नहीं है । यह शायद भगवान के झूले के उत्सव के लिए झूला बांधने के लिए निर्मित किया होगा । जो कोई भी हो यह तो राजाओं का तुलाभार नाम से प्रतीत है ।
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