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Hampi - KodandRam Temple | कोदंड राम देवालय

                 मातंग पर्वत के पहाड़ से उतरकर रत विधि में आए तो,  दाई और विट्ठल देवालय ऐसा नाम का फलक दिखाई पड़ता है । वहां दाई ओर घूमकर पगडंडी पर आगे चलना चाहिए । तुंगभद्रा नदी के किनारे यह रास्ता आगे जाता है । यह पगडंडी कई जगहों पर चट्टानों पर चढ़ते - उतरते थोड़ी दूर जाने के बाद कोदंड राम देवालय मिलता हैं ।                      यह मंदिर नदी की सतह से ६ - 8० फीट ऊंचा है। इस मंदिर के सामने खड़े होकर नदी का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। यहां तुंगभद्रा नदी के दो पहाड़ के बीच से बढ़ते जाने से वहां एक बड़ा गड्ढा हुआ है । बरसात में जब भारी प्रवाह आता है, तब पानी ऊपर छ्डकर देवालय प्रवेश करता हैं । इसके अलावा पानी जोर से घुसते समय पहाड़ से टक्कर लगाते हुए आगे बढ़ता है । नदी के इस भाग को चक्रतीर्थ कहते हैं । एक ही चट्टान में श्री राम लक्ष्मण सीता के विग्रह है ।  यह विग्रह करीब 5 फीट तक ऊँचे है । मालूम होता है कि इस मूल देवस्थान को अरवीडु वंश के चक्क वेकंटपती राय ने बनवाया था ।

Hampi - Matang Hill | मातंग पर्वत

                      इस पहाड़ पर चढ़ने के लिए पश्चिम दिशा की ओर सिढीयाँ है।  सिढीयाँ के जरिए पहाड़ के ऊपर चढ़े तो वहां वीरभद्र का मंदिर है । यह मंदिर बिना आकर्षण के साधारण सा मंदिर है ।                       इस पहाड़ के ऊपर का दृश्य मनमोहक और बहुत आकर्शित करनेवाला है । यहां खड़े होकर देखे तो पश्चिम दिशा में पंपापती देवालय का महाद्वार, रथविधी, हेमकुट, पर्वत और ऊत्तर मेँ तुंगभद्रा नदी है । पुर्वदिशा की ओर देखे तो अच्युतराय का मंदिर है । दक्षिण की ओर घूमे तो गजशाला, राजमहल का किला अन्य भाग्नाविशेष मिलते हैं । इनके अलावा यहां प्रकृति का दृश्य देखने के लिए बडा रम्य है। सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए सुंदर लगते हैं । यहां से देखकर जो वर्णन किया है वह इस प्रकार है - सारे भारत में इससे बढ़कर अन्य मनोहर दृश्य नहीं है । इसका मतलब यह है कि इस प्रकृति के सुंदर दृश्योँ के साथ उस समय का राजवैभव  भी उतना ही मनोहर था।

Sasivekalu Ganpati in Hampi | ससीवेकालु गणपती हंपी

Sasivekalu Ganpati in Hampi | ससीवेकालु गणपती हंपी ससिवेकालु गणेश मंदिर, भगवान गणेश की एक विशाल मूर्ति है, जो चट्टान के एक खंड से उकेरी गई है। यह हम्पी के प्रमुख स्थलों में से एक अदभुत है। ससिवकलु गणेश मुर्ती की लंबाई लगभग 8 फीट (2.5 मीटर) है। ससिवेकालु गणेश मंदिर का इतिहास : -                           हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री गणेश भोजन के लिए अपने प्रेम के लिए जाने जाते हैं। एक बार गणेश जी ने बहुत भोजन किया, जिसके कारण उनका पेट फटने की कगार पर था। अपने पेट को फटने से रोकने के लिए कोई और विकल्प नहीं तलाशने पर, गणेश ने एक सांप को पकड़ लिया और उसे खुले में फटने से बचाने के लिए अपने पेट के चारों ओर बांध दिया। यह गणेश के पेट के चारों ओर सांप के अस्तित्व के पीछे की पौराणिक घटना है, जो मूर्ति पर दिखाई देती है।                          प्रतिमा पर शिलालेख 1500 ईस्वी पुराना है और कहते हैं कि यह प्रतिमा विजयनगर साम्राज्य के राजा नरसिम्हा द्वितीय की याद में बनाई गई थी। यह मंदिर और मूर्ति वास्तव में भारतीय मूर्तियों के बेहतरीन नमूनों में से एक है।

How destroy Vijay Nagar Empire | विजय नगर साम्राज्य कैसे खत्म हुआ ?

How destroy Vijay Nagar Empire | विजय नगर साम्राज्य कैसे खत्म हुआ ? विजयनगर साम्राज्य के खंडहर मन में एक सवाल पैदा करते हैं, कि आखिर कैसे इतनी समृद्ध शहर का पतन हुआ? तो आइए आपको बताते हैं किस तरीके से विजयनगर साम्राज्य यहां से खत्म जितना हम मुगलों और तुर्कों के बारे में जानती हैं । उतना हमने विजयनगर साम्राज्य के बारे में पढ़ा सुना नहीं है । विजय नगर जिसका मतलब है "जीत का शहर "। मध्य युग कि इस शक्तिशाली हिंदू साम्राज्य की स्थापना के बाद से ही इस पर लगातार आक्रमण हुए । लेकिन इस साम्राज्य के राजाओं ने इसका कड़ा जवाब दिया । यह साम्राज्य कभी दूसरों के आधीन नहीं रहा । इसकी राजधानी को कई बार मिट्टी में मिला दिया गया । लेकिन इसे फिर खड़ा किया यहां के लोगों ने । विजयनगर साम्राज्य की स्थापना राजा हरिहर और बुक्का नाम के दो भाइयों ने 1336 में की थी । दरअसल विजय नगर पर सन 1336 से लेकर 1565 चार राजवंश, संगमवंश, सालुववंश, तुलुव वंश और अरविडु वंश ने शासन किया । इनमें से तुलुव वंश के कृष्णदेव राय को सबसे प्रतापी राजा माना जाता है । जिनके समय में विजय नगर सैनिक दृष्टि से दक्षिण भारत का बेह

Hampi - Kamal Mahal | हंपी - कमल महल

Hampi - Kamal Mahal | हंपी - कमल महल हजारा राम मंदिर से थोड़ा दूर, लोकप्रिय कमल महल है । इसकी मेहराबे कमल के फूल की पंखुड़ियों की तरह बनी हुई है । अपनी विशेषताएं समेटे कमल महल के पास ही हाथी घर के भी अवशेष देखने को मिलते हैं । यहां इसके खंडरों की चमक आंखों को चकाचौंध कर देती है । तो अपने वक्त में इस शहर की समृध्द्ता की कल्पना कर पाना भी मुश्किल है।

Hampi - Hajara Ram Mandir | हंपी हजारा राम मंदीर

Hampi - Hajara Ram Mandir | हंपी हजारा राम मंदीर शाही परिधि के बीचो बीच मौजूद है, हजारा राम मंदिर । इसे देखकर लगता है, मानो बनाने वाले ने अपनी कला की उत्कृष्टता को पत्थरों पर तसल्ली से गढा है । सैकड़ों साल पुरानी बनी मूर्तियों को छूकर लोग एहसास करते हैं कि, यह कोई सपना नहीं है । मंदिर की दीवारों पर बनी नकशी दार मूर्तियों में रामायण की कहानियों को उकेरा गया है ।

Hampi Vitthal Mandir | हंपी का विठ्ठल मंदीर

Hampi Vitthal Mandir | हंपी का विठ्ठल मंदीर हंपी का विट्ठल मंदिर उत्कृष्ट कला और स्थापत्य की बेजोड़ मिसाल है | जिसे देखने दर्शक देश-विदेश से खींचे चले आते हैं | Hampi Ratha | हंपी रथ पत्थर को तराश कर बनाए गए हंपी रथ के पीछे इतिहासकारों का मत है कि कोणार्क के पहियों पर टिके रथ से राजा कृष्णदेव राय इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने वैसा ही रथ यहां बनवा दिया । गरूड की छवि में बना यह रथ भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है । Hampi Mahamandap | हंपी महामंंडप मंदिर की सबसे बडी रहस्यमय जगह, 'महा मंडप' में मौजूद म्यूजिकल पिलर्स की तरह इनका आधार खूबसूरत कलाकृतियों से अलंकृत है । खूबसूरत नकशीदार स्तंभों को 'म्यूजिकल पिलर' या 'संगीतमय खंबे' कहा जाता है । पत्थर के खंभों को थप-थपा ने से निकलने वाला संगीत सबको हैरान कर देता है । 500 साल पहले की तकनीक और विज्ञान के आगे आज आधुनिक विज्ञान भी नतमस्तक है । इन ठोस ग्रॅनाईट के पत्थर के स्तंभों में से तबले, वीणा और अलग-अलग 81 वाद्य यंत्रों की ध्वनि निकलती है ।