Skip to main content

Posts

रोज सुबह खाली पेट गर्म नींबू पानी पीने के ये हैं फायदे | benefits of drinking hot lemonade

रोज सुबह खाली पेट गर्म नींबू पानी पीने के ये हैं फायदे These are the benefits of drinking hot lemonade on an empty stomach every morning नींबू पानी एक प्राकृतिक एनर्जी ड्रिंक है। यह हमारे शरीर को हमेशा तरोताजा रखने में मदद करता है। जानिए नियमित रूप से नींबू पानी पीने के स्वास्थ्य लाभ...  नींबू पानी शरीर को तरोताजा करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है।  नियमित रूप से नींबू पानी पीने से त्वचा का स्तर भी बना रहता है।  नींबू पानी शरीर से अवांछित तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है और शरीर को अंदर से साफ रखने में मदद करता है।  रोज सुबह नींबू पानी पीने से आंखों के नीचे के काले घेरे कम हो जाते हैं। साथ ही नींबू पानी त्वचा से अवांछित तत्वों को निकालने में मदद करता है।  नींबू पानी दांत दर्द को कम करता है। साथ ही अगर आपके दांत में दर्द है तो उस पर नींबू का रस लगाने से आराम मिलता है।  नींबू पानी के नियमित सेवन से प्रदूषण के कारण होने वाली सांस की बीमारियों का संचरण कम होता है।

पिंपल के पेड़ की पूजा शनिवार को ही क्यों की जाती है? | Why is the Pimpal tree worshiped only on Saturdays? |

Pimpal Tree | पिंंपळ झाड  भारतीय संस्कृति में पिंपल के पेड़ को देवता का पेड़ माना जाता है। पिंपल का पेड़ भारतीय हिंदू संस्कृति में प्राचीन काल से ही पूजनीय रहा है। भारतीय संस्कृति में दाना वृक्ष को भगवान का वृक्ष माना जाता है। पिंपल का पेड़ भारतीय हिंदू संस्कृति में प्राचीन काल से ही पूजनीय रहा है। ऐसा माना जाता है कि पिंपल के पेड़ की पूजा करने से लंबी उम्र और समृद्धि आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिवार के दिन पिंपल के पेड़ का विज्ञान में विशेष महत्व क्यों है? धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिवार के दिन पिंपल के पेड़ की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इस दिन पिंपल की पूजा करने और इस पेड़ की सात परिक्रमा करने से शनि की पीड़ा दूर होती है। आयुर्वेद में पिंपल के पेड़ को औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। शनि की अमावस्या के दिन दाना वृक्ष की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है। श्रावण मास में अमावस्या के बाद शनिवार को पिंपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। पिंपल का पेड़ ब्रह्मस्थान है और यह सात्विकता को बढ़ाता है। इसलिए शनिवार

एलोवेरा के फायदे | Benefits of Aloe Vera

एलोवेरा नाम से हम सभी परिचित हैं। यह एक औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है। एक चमत्कारिक पौधे के रूप में भी जाना जाता है, एलोवेरा उत्पाद बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। एलोवेरा के कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। अगर आप इस पर गौर करें तो आप देख सकते हैं कि एलोवेरा का इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जाता रहा है.असल में मिस्र में लोग एलोवेरा को अमरता का पेड़ कहते थे. एलोवेरा के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि एलोवेरा का इस्तेमाल खूबसूरती के लिए कैसे किया जाता है? यहां एलोवेरा से बने कुछ फेस पैक दिए गए हैं, जिन्हें आप कम से कम खर्च में घर पर इस्तेमाल करके अपनी सुंदरता को बढ़ा सकते हैं। एलोवेरा के फायदे  1) मुलायम त्वचा के लिए एलोवेरा फेस पैक - खीरे का रस, एलोवेरा जेल, दही, गुलाब जल और तिल के तेल को मिलाकर इस मिश्रण को अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं और 10 मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें यह चेहरे पर खिलता है .  2) त्वचा के लिए एलोवेरा फेस पैक 2 बड़े चम्मच एलोवेरा जेल - 5 से 6 बीजरहित खजूर, खीरे के टुकड़े और नींबू के रस को एक साथ मिलाएं। इस मिश्रण को बनाकर बोतल में भरक

Hampi - कृष्ण देवालय

कृष्ण देवालय              हेमकुट से कमलापुर के रास्ते के द्वारा निकले तो हंपी का प्रवेश द्वार मिलेगा । अब यह द्वार शिथिल हो गया है । इस प्रवेश द्वार के द्वारा आगे बढ़े तो दाहिनी और एक विशाल मंदिर मिलेगा यही कृष्ण देवालय है । यह मंदिर 320 फीट लंबा तथा 200 फीट तक चौड़ा है ।              यह मंदिर सुभद्र है । देवालय के किले की रक्षा भी, की गई है । देवालय पुर्वाभिमुख है । कृष्ण देवालय, गजपति के साथ लड़ाई करके,  जय पाकर उसकी यादगारी की भेंट के रूप में 1523 ई. में बालकृष्ण के विग्रह को उदयगिरि से मंगवाकर प्रतिष्ठित किया है । लेकिन वह मूर्ति ही नहीं है । उसे मद्रास के वस्तु प्रदर्शन आले में रखा गया है । Hampi - Krishna Temple              देवालय के रंग मंडप विशाल तथा सुंदर है । खंभों पर कृष्ण के जीवन चरित्र के कई खुदाई को देख सकते हैं । खुदाई अपूर्व है । प्रवेश करने के लिए दक्षिण पूर्व और उत्तर की ओर से सीढ़ियां है । गर्भ मंदिर के चारों ओर कई सुंदर खुदाईयां है ।              वाले के आवरण में छोटे-छोटे मंदिर हैं । पूरब में एक इमारत है । यह शायद रसोईघर का आवरण मालूम होता है ।            

Hampi - वीरभद्र देवालय

वीरभद्र देवालय              हमें मालूम होता है कि यह मंदिर अरवीडु वंश के रामराय के जमाने मे निर्मित हुआ है । इसके पहले का नाम मुद्द वीरण था । फिर आते-आते जन सामान्य लोग उद्धन वीरभद्र कह कर पुकारते हुए यह प्रचलित हो गया है ।              वीरभद्र का विग्रह 12 फीट ऊंचा है । हाथ में आयुष को पकड़ा हुआ है । इसके पास ही दक्ष का विग्रह है ।              ईस देवालय के पास ही और एक मंदिर है । इसे चंडिकेश्वर कहते हैं । द्वारपालक तथा पीठ पर दिखाई पड़नेवाले गरुड़ के विग्रह पर ध्यान दें तो यह ईश्वर देवालय होकर भी वैष्णव देवालय हो गया है । इसके लिए शासन का प्रमाण भी मिला है । ईन देवालयों को देखकर फिर कमलापुर रास्ते को ही पकड़ कर आगे चले तो किला तथा दीवारें और अंजना का देवालय दिखाई पड़ता है । कुछ और आगे जाने के बाद और एक देवालय मिलता है । यही पातालेश्वर देवालय है ।

Hampi - वीरभद्र देवालय

वीरभद्र देवालय              हमें मालूम होता है कि यह मंदिर अरवीडु वंश के रामराय के जमाने मे निर्मित हुआ है । इसके पहले का नाम मुद्द वीरण था । फिर आते-आते जन सामान्य लोग उद्धन वीरभद्र कह कर पुकारते हुए यह प्रचलित हो गया है ।              वीरभद्र का विग्रह 12 फीट ऊंचा है । हाथ में आयुष को पकड़ा हुआ है । इसके पास ही दक्ष का विग्रह है ।              ईस देवालय के पास ही और एक मंदिर है । इसे चंडिकेश्वर कहते हैं । द्वारपालक तथा पीठ पर दिखाई पड़नेवाले गरुड़ के विग्रह पर ध्यान दें तो यह ईश्वर देवालय होकर भी वैष्णव देवालय हो गया है । इसके लिए शासन का प्रमाण भी मिला है । ईन देवालयों को देखकर फिर कमलापुर रास्ते को ही पकड़ कर आगे चले तो किला तथा दीवारें और अंजना का देवालय दिखाई पड़ता है । कुछ और आगे जाने के बाद और एक देवालय मिलता है । यही पातालेश्वर देवालय है ।

Hampi - उग्र नरसिंह

उग्र नरसिंह            हंपी में रहने वाला सभी मूर्तियों में बृहदाकार की मूर्ति है । इसकी ऊंचाई करीब 22 फीट है । यह 1528 इ. मे कृष्णदेव राय के जमाने में एक ब्राह्मण से बनाया गया था ।            इसे उग्र नरसिंह कहते हैं । लेकिन यह उग्र नरसिंह नहीं है । क्योंकि उस उग्र की विग्रह की गोद में लक्ष्मी का विग्रह है । दृष्टों के आक्रमण से यह मूर्ति भिन्न होकर गिर पड़ी है । इस मूर्ति को लक्ष्मी नरसिंह के नाम से प्रचलित है ।            नरसिंह के बृहदाकार की प्रभावली है ।  सिर के पीछे का फन खुला हुआ सर्फ है । पिछले जमाने में इसके लिए मंदिर होगा । लेकिन अब मैदान में है । इसके चारों ओर के और बाग बगीचे है । यह दोनों देख कर फिर कमलापुर रास्ता पकड़ कर आगे बढ़े तो रास्ते में ही एक मंदिर नजर में आता है । यही वीरभद्र देवालय है ।